“पढ़ाई मेरी पूजा थी” – उत्तराखंड टॉपर अनुष्का राणा की सफलता के पीछे की कहानी, पिता ने किया खुलासा
समाचार सच, देहरादून। कभी एक छोटे से गांव में बैठकर किताबों में डूबी रहने वाली अनुष्का राणा आज पूरे उत्तराखंड की शान बन चुकी हैं। बोर्ड परीक्षा में 98.6 प्रतिशत अंक लाकर उन्होंने न केवल अपनी मेहनत का फल पाया बल्कि यह भी दिखा दिया कि बेटियां किसी से कम नहीं। अनुष्का की मेहनत और आत्मनियंत्रण हर छात्र के लिए प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित किया कि सामान्य विद्यालयों से भी असाधारण सफलता पाई जा सकती है- बस जरूरत है आत्मविश्वास, अनुशासन और समर्पण की।
स्कूल जीआईसी बड़ासी में छात्रा अनुष्का की यह सफलता यूं ही नहीं आई। वह रोज़ 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थीं, और उनके पिता, जो खुद एक शिक्षक हैं, हमेशा उनका मार्गदर्शन करते रहे। मां ने हर कदम पर बेटी का हौसला बढ़ाया। उनकी इस उपलब्धि पर पूरा गांव, स्कूल और शिक्षक गौरव से भर उठे हैं। यह केवल एक छात्रा की जीत नहीं, यह उन तमाम बेटियों की जीत है जो सपने देखती हैं और उन्हें हकीकत में बदलती हैं।
अनुष्का हमें यह सिखाती हैं कि छोटी जगह, सीमित साधन और साधारण स्कूल से भी असाधारण सपना साकार किया जा सकता है-अगर आपके इरादे मजबूत हों।
टॉपर अनुष्का राणा से जब पूछा गया कि सफलता का मंत्र क्या है, तो मुस्कुराकर उन्होंने कहा कि नियमित पढ़ाई और माता-पिता का आशीर्वाद। अनुष्का का सपना है- डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करना। वह कहती हैं, मेरा उद्देश्य सिर्फ अंक लाना नहीं था, मैं कुछ बनकर लौटना चाहती हूं अपने गांव, अपने लोगों के लिए।
अनुष्का के पिता रामेन्द्र राणा स्वयं एक विज्ञान शिक्षक हैं। उन्होंने बताया कि अनुष्का प्रतिदिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थी। हमने कभी उस पर दबाव नहीं डाला। वह खुद ही अनुशासित थी।
परिवार के अन्य सदस्यों में अनुष्का की मां, जो एक गृहिणी हैं, उनका कहना है कि बेटियां अगर सपने देखें और मेहनत करें तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं। अनुष्का का भाई इस समय आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग कर रहा है। परिवार में शिक्षा को लेकर विशेष वातावरण है।
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